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Monday 23 July 2018

*आराम न फ़रमाते*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     अमीरुल मुअमिनिन हज़रत उमर बिन खत्ताब رضي الله عنه को आराम का वक़्त नहीं मिलता था, लिहाज़ा आप पर बैठे बैठे गुनुदगी तारी हो जाती। सहाबा ने अर्ज़ की ऐ अमीरुल मुअमिनिन! क्या आप सोते नहीं है? आप ने फ़रमाया में कैसे सो सकता हूँ, अगर में दिन में सोता हूँ तो लोगों के हुक़ूक़ ज़ाए कर बैठूंगा और अगर रात में सोता हूँ तो अल्लाह कि तरफ से अपना हिस्सा ज़ाए कर बैठूंगा।

*✍🏼आंसुओं का दरिया* 45

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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