بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
फरमाने मुस्तफा ﷺ: नेकी पुरानी नही होती और गुनाह भुलाया नहीं जाता, जज़ा देने वाला (अल्लाह) कभी फना नहीं होगा, लिहाज़ा जो चाहे कर, तू जैसा करेगा वैसा भरेगा।
ऐ इस्लामी भाइ! क्या तुझे मालुम है तूने क्या कर दिया है? तूने कुर्बत को दुरी के बदले, अक़्ल को ख्वाहिशात के बदले और दीन को दुन्या के बदले बेच दिया है।
उठ (यानी तैयार हो जा) और अपने नफ़्स पर अफ़सोस कर और जब तक तू ज़िन्दा रहे इस पर रोता रह और अपने राहत व आराम पर आंसू बहा, कि जब कोई नौ जवान अपनी नफ्सानी ख्वाहिशात के बारे में अल्लाह से डरता है, तो वो (ईमान में) कामिल हो जाता है।
*आंसुओं का दरिया* 38
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, गर होजाये यक़ीन के.. अल्लाह सबसे बड़ा है..अल्लाह देख रहा है..
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