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Saturday 21 July 2018

फ़रिश्ते की सदाएं*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा ﷺ: अल्लाह के खौफ से मोमिन की आँख से निकलने वाला क़तरा उसके लिये दुन्या और इस की हर चीज़ से बेहतर है और एक साल की इबादत से बेहतर है और अल्लाह की अज़मत  और कुदरत में एक घड़ी गौरो फ़िक्र करना 60 दीन के रोज़ों और 60 रातों की इबादत से बेहतर है, सुन लो कि बेशक अल्लाह का एक फ़रिश्ता हर दिन और रात में निदा करता है कि 40 साल की उम्र वालो! फसल काटने का वक़्त आ गया, ऐ 50 साल वालो! हिसाब की तैयारी कर लो, ऐ 60 साल वालो! तुम ने आगे क्या भेजा और पीछे क्या छोड़ा है? ऐ 70 साल वालो! तुम्हे किस चीज़ का इंतज़ार है? काश कि मख्लूक़ पैदा न होती और जब पैदा हो गई है तो काश अपना मक़्सदे हयात जान लेती फिर उस के मुताबिक़ अमल करती, खबरदार! क़यामत तुम्हारे क़रीब आ गई होशियार हो जाओ।

*حلية الاولياء*

     ऐ बदी के गुलाम! तू कितने गुनाह करता है और हम पर्दा पोशी कर देते है, म्मनुआत के कितने दरवाज़े तू तोड़ डालता है और हम उसे दुरुस्त कर देते है। हम कब तक तेरी आँखों से खौफ के आसूं तलब करें हालांकि वह नहीं गिरते, हम कब तक चाहेंगे कि तू ताअत इख़्तियार करे हालांकि तू इससे भागता है और जुदाई इख्तियार कर्ता है, हमने तुझे कितनी नेअमतें अता फ़रमाई मगर तू इसका शुक्र अदा नहीं करता, तुझे दुन्या और ख्वाहिशात की पैरवी ने धोके में डाल दिया कि तू न तो सुनता है और न ही देखता है, हम ने तेरे लिये काएनात को मुस्खखर कर दिया फिर भी तू सर्कशी और ना शुक्रि इख़्तियार करता है और दुन्या ही में रहना चाहता है हालांकि ये तो नसीहत क़बूल करने वाले के लिये पुल की हैसिय्यत रखती है।

*✍🏼आंसुओं का दरिया* 41

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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