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Wednesday 11 July 2018

*बे-नमाज़ी की नहूसत*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
     हज़रत ईसा عليه السلام एक गांव के क़रीब से गुज़रे जहाँ कसरत से दरख्त थे, नहरें जारी थीं, लोग बड़े खुशहाल और मेहनत नवाज़ थे, लोगों ने आपका स्वागत किया, खूब खिदमत की। हज़रत ईसा عليه السلام उन लोगों की इस क़द्र फ़रमाँबरदारी और माल की फराखि (खूब होना) को देखकर हैरत में पड़ गए फिर तीन साल के बाद उसी गांव में आपका जाना हुआ तो आपने देखा कि दरख्त खुश्क हो चुके है, नहरे भी बन्द है और गांव उजड़ चुका है। आप हैरान थे कि आखिर ये बदलाव इतनी मुख़्तसर सी मुद्दत में कैसे आई ? इतने में जिब्राइल अमीन आए और कहा : ऐ रूहल्लाह ! यहाँ से एक बे-नमाज़ी का गुज़र हुआ था जिसने इन झरनों से मुंह धोया था, उसकी नहूसत का ये असर हुआ कि दरख्त मुरझा गए, नहरें खुश्क हो गई और गांव वीरान हो गया। ऐ ईसा ! जब नमाज़ का छोड़ना दीन की बर्बादी का सबब है तो दुन्या की तबाही का सबब भी बन सकता है।
*✍🏼नुज़हतुल मजालिस* 1/493
*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 30
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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