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Friday 3 August 2018

*महब्बते रसूल* (ﷺ)  #1


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

      

      हदीष शरीफ में है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया की जब तक मैं तुम को तुम्हारे बाप, अवलाद, और तमाम लोगो से ज़ियादा महबूब न हो जाऊं, तुम लोग (कामिल) मोमिन नहीं हो सकते, और सहाबए किराम रदिअल्लाहो तआला अन्हुम को ईमान का येही दरजए कमाल हासिल था।

    चुनान्चे हज़रते जाबिर रदिअल्लाहो तआला अन्हो के वालिद जब ग़ज़्वए उहुद की शिर्कत के लिये रवाना हुवे तो बेटे से कहा कि मैं ज़रूर शहीद होऊंगा और रसूलुल्लाह ﷺ के सिवा मुझ को तुम से ज़ियादा कोई अज़ीज़ नहीं है। तुम मेरा क़र्ज़ अदा करना और अपने भाइयों के साथ नेक सुलूक करना।   

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 190

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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