بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*नमाज़ की 6 शराइत* #04
*_5 निय्यत :_* #01
निय्यत दिल के पक्के इरादे का नाम है।
🔹ज़बान से निय्यत ज़रूरी नहीं अलबत्ता दिल में निय्यत हाज़िर होते हुए ज़बान से कह लेना बेहतर है। अरबी में कहना भी ज़रूरी नहीं उर्दू वग़ैरा किसी भी ज़बान में कह सकते है।
🔹निय्यत में ज़बान से कहने का एतिबार नही यानि अगर दिल में मसलन ज़ोहर की निय्यत हो और ज़बान से लफ़्ज़े असर निकला तब भी ज़ोहर की नमाज़ हो गई।
निय्यत का अदना दर्जा ये है की अगर उस वक़्त कोई पूछे की कौन सी नमाज़ पढ़ते हो ? तो फौरन बता दे। अगर हालत ऐसी है की सोच कर बताएगा तो नमाज़ न हुई।
🔹फ़र्ज़ नमाज़ में निय्यते फ़र्ज़ भी ज़रूरी है मसलन दिल में ये निय्यत हो की आज की ज़ोहर की फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ता हु।
🔹दुरुस्त तरीन ये है की नफ्ल, सुन्नत और तरावीह में मुतलक़ नमाज़ की निय्यत काफी है मगर एहतियात ये है की तरावीह में तरावीह या सुन्नते वक़्त की निय्यत करे और बाकी सुन्नतो में सुन्नत या सरकारे मदीना की पैरवी की निय्यत करे, इस लिये की बाज़ मशाइख इन में मुतलक़ नमाज़ की निय्यत को नाकाफी क़रार देते है।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 158-159*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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