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Monday 20 August 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #226


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*सालेह عليه السلام ने क़ौम को जवाब दिया*

     आपने कहा: अल्लाह ने मुझे रौशन दलाइल अता फरमाये है और उसने मझे अपनी रहमत से नवाज़ा है इसीलिये में भी तुम पर हेरबानी कर रहा हूँ कि तुम्हे उस राह की हिदायत दे रहा हूँ जिसमें तुम्हारी कामयाबी है तुम अपनी बेअक़्ली की वजह से जिस बातिल राह की मेरी मुआवनत चाहते हो उसमे अल्लाह की नाफरमानी है और अल्लाह की नाफरमानी खसारा है।

     सालेह عليه السلام जब मबुउस हुए और क़ौम ने तकज़िब की इसके बाई बारिश रुक गई क़हत हो गया लोग भूखे मरने लगे इसको क़ौम ने आप عليه السلام की तशरीफ़ आवरी की तरफ निस्बत किया और आपकी आमद को बदशगुनी समझा, आप ने क़ौम को जवाब दिया : तुम्हारी बदशगुनी अल्लाह के पास है बल्कि तुम लोग फ़ित्ने में पड़े हो।

     हज़रत इब्ने अब्बास फरमाते है की सालेह عليه السلام के इरशाद का तलब ये था कि बदशगुनी जो तुम्हारे पास आई ये तुम्हारे कुफ्र की वजह से अल्लाह की तरफ से आई है तुम फ़ित्ने में मुब्तला हो, तुम्हारा अपने बातिल दीन को सही समझना बूत परस्ती पर क़ायम रहना ये दर हक़ीक़त तुम्हारे लिये फ़ित्ना है।

     क़ौम ने कहा तुम पर बार बार करारत से जादू किया गया है इसीलिये तुम्हारी अक़्ल सलामत नही रही, तुम हमारे साथ बेवकूफी की बाते कर रहे हो कि हम अपने आबा व अजदाद का दीन छोड़ दें। 

     क़ौम ने कहा हम इतनी तादाद में हो कर एक आदमी की ताबेदारी करें वो भी ऐसे शख्स हो जो हमारेके जैसा बसर हो ऐसा काम तो दीवानों का है, हम तो अक़्लमंद है, क्या इसी को नबुव्वत अता होनी थी? इस मनसब के लायक़ और कोई नही था? ये शख्स (معاذ الله) अपने दावए नबुव्वत में झूटा है और ये दावा करके शोखियां मार रहा है, इतरा रहा है, ये तो बड़ा मुताक़ब्बिर है। 

     रब ने उनको रदद् करते हुए फ़रमाया: ये क़ौम दुन्या और आख़ेरत में अज़ाब में मुब्तला होगी तो फिर उन्हें पता चलेगा कि कौन झूटा और बातिल राह पर ज़िद व अनाद की वजह से क़ायम रहकर तकब्बुर कर रहा था?

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 185

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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