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Friday 10 August 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-4, आयत, ③⑥*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

तो शैतान ने उससे (यानी जन्नत से) उन्हें लग़ज़िश (डगमगाहट) दी और जहां रहते थे वहां से उन्हें अलग कर दिया (12) और हमने फ़रमाया नीचे उतरो(13)आपस में एक तुम्हारा दूसरे का दुश्मन और तुम्हें एक वक्त़ तक ज़मीन में ठहरना और बरतना है(14)


*तफ़सीर*

    (12) शैतान ने किसी तरह हज़रत आदम और हव्वा के पास पहुंचकर कहा, क्या मैं तुम्हें जन्नत का दरख़्त बता दूँ ? हज़रत आदम ने इन्कार किया. उसने क़सम खाई कि में तुम्हारा भला चाहने वाला हूँ. उन्हें ख़याल हुआ कि अल्लाह पाक की झूठी क़सम कौन खा सकता है. इस ख़याल से हज़रत हव्वा ने उसमें से कुछ खाया फिर हज़रत आदम को दिया, उन्होंने भी खाया. हज़रत आदम को ख़याल हुआ कि “ला तक़रबा” (इस पेड़ के पास न जाना) की मनाही तन्ज़ीही (हल्की ग़ल्ती) है, तहरीमी नहीं क्योंकि अगर वह हराम के अर्थ में समझते तो हरगिज ऐसा न करते कि अंबिया मासूम होते हैं, यहाँ हज़रत आदम से इज्तिहाद (फैसला) में ग़लती हुई और इज्तिहाद की ग़लती गुनाह नहीं होती.

    (13) हज़रत आदम और हव्वा और उनकी औलाद को जो उनके सुल्ब (पुश्त) में थी जन्नत से ज़मीन पर जाने का हुक्म हुआ. हज़रत आदम हिन्द की धरती पर सरअन्दीप (मौजूदा श्रीलंका) के पहाड़ों पर और हज़रत हव्वा जिद्दा में उतारे गए (ख़ाज़िन). हज़रत आदम की बरकत से ज़मीन के पेड़ों में पाकीज़ा ख़ुश्बू पैदा हुई. (रूहुल बयान)

    (14) इससे उम्र का अन्त यानी मौत मुराद है. और हज़रत आदम के लिए बशारत है कि वह दुनिया में सिर्फ़ उतनी मुद्दत के लिये हैं उसके बाद उन्हे जन्नत की तरफ़ लौटना है और आपकी औलाद के लिये मआद (आख़िरत) पर दलालत है कि दुनिया की ज़िन्दगी निश्चित समय तक है. उम्र पूरी होने के बाद उन्हें आख़िरत की तरफ़ पलटना है.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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