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Tuesday 7 August 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-4, आयत, ③③*



بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     फ़रमाया ऐ आदम बतादे उन्हें सब (चीज़ों) के नाम जब उसने (यानि आदम ने)उन्हें सब के नाम बता दिये(7) फ़रमाया मैं न कहता था कि मैं जानता हूं जो कुछ तुम ज़ाहिर करते और जो कुछ तुम छुपाते हो (8)


*तफ़सीर*

     (7) यानी हज़रत आदम अहैहिस्सलाम ने हर चीज़ का नाम और उसकी पैदाइश का राज़ बता दिया.

     (8) फ़रिश्तों ने जो बात ज़ाहिर की थी वह थी कि इन्सान फ़साद फैलाएगा, ख़ून ख़राबा करेगा और जो बात छुपाई थी वह यह थी कि ख़िलाफ़त के हक़दार वो ख़ुद हैं और अल्लाह तआला उनसें ऊंची और जानकार कोई मख़लूक़ पैदा न फ़रमाएगा. इस आयत से इन्सान की शराफ़त और इल्म की बड़ाई साबित होती है और यह भी कि अल्लाह तआला की तरफ तालीम की निस्बत करना सही हैं. अगरचे उसको मुअल्लिम (उस्ताद) न कहा जाएगा, क्योंकि उस्ताद पेशावर तालीम देने वाले को कहते हैं. इससे यह भी मालूम हुआ कि सारे शब्दकोष, सारी ज़बानें अल्लाह तआला की तरफ़ से हैं. यह भी साबित हुआ कि फ़रिश्तों के इल्म और कमालात में बढ़ौत्री होती है.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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