بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
अपने मुस्तक़ील ठिकाने तक पहुंचने ले लिये हमें 6 मुख्तलिफ सफर दरपेश है।
पहला सफर: मिट्टी से खमीर बनने तक। दूसरा सफर: पीठ से रेहम तक। तीसरा सफर: रेहम से ज़मीन की पीठ पर आने तक। चौथा सफर: सतहे ज़मीन से क़ब्र तक। पांचवां सफर: क़ब्र से मैदाने महशर तक। छटा सफर: मैदाने महशर से जाए रिहाइश तक, जो जन्नत होगी या फिर जहन्नम। आह! हम ने निस्फ रास्ता तो तै कर लिया मगर मुश्किल तरीन सफर अभी बाक़ी है।
ऐ रंजो अलम में चीखने चिल्लाने वाले! हिला बाज़ी दूसरों के लिये रहने दे, फायदे में रहेगा। तो राहत व आराम में इज़ाफ़ा चाहता है और गुज़श्ता इब्रतनाक बातों को भूल रहा है। अगर तू अल्लाह की बारगाह में रुजू करता तो वो जल्द ही तेरे मसाइबो आलाम दूर फरमा देता।
मेरे भाई! दुन्या से बच के रहना क्योंकि दुन्या एक तारिक राह गुज़र है और इसमें सिर्फ ब क़दरे ज़रूरत ग़िज़ा पर क़नाअत कर और याद रख की एक दिन तुझे ये दुन्या छोड़ जाना है।
*✍️आंसुओं का दरिया* 106
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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