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Friday 24 August 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-6, आयत, ⑤①*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और जब हमने मूसा से चालीस रात का वादा फ़रमाया फिर उसके पीछे तुमने बछड़े की पूजा शुरू कर दी और तुम ज़ालिम थे (9)


*तफ़सीर*

     (9) फ़िरऔन और उसकी क़ौम के हलाक हो जाने के बाद जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम बनी इस्राइल को लेकर मिस्त्र की तरफ़ लौटे और उनकी प्रार्थना पर अल्लाह तआला ने तौरात अता करने का वादा फ़रमाया और इसके लिये मीक़ात निशिचत किया जिसकी मुद्दत बढ़ौतरी समेत एक माह दस दिन थी यानी एक माह ज़िलक़ाद और दस दिन ज़िलहज के. हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम क़ौम में अपने भाई हज़रत हारून अलैहिस्सलाम को अपना ख़लीफ़ा व जानशीन (उत्तराधिकारी) बनाकर, तौरात हासिल करने तूर पहाड़ पर तशरीफ़ ले गए, चालीस रात वहां ठहरे. इस अर्से में किसी से बात न की. अल्लाह तआला ने ज़बरजद की तख़्तियों में, आप पर तौरात उतारी. यहां सामरी ने सोने का जवाहरात जड़ा बछड़ा बनाकर क़ौम से कहा कि यह तुम्हारा माबूद है. वो लोग एक माह हज़रत का इन्तिज़ार करके सामरी के बहकाने पर बछड़ा पूजने लगे, सिवाए हज़रत हारून अलैहिस्सलाम और आपके बारह हज़ार साथियों के तमाम बनी इस्राइल ने बछड़े को पूजा. (ख़ाज़िन)

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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