Pages

Wednesday 29 August 2018

सूरतुल बक़रह, रुकुअ-6, आयत, ⑤⑧*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और जब हमने फ़रमाया उस बस्ती में जाओ (16) फिर उसमें जहां चाहो, बे रोक टोक खाओ और दरवाज़ें में सजदा करते दाख़िल हो(17) और कहो हमारे गुनाह माफ़ हों हम तुम्हारी ख़ताएं बख्श़ देंगे और क़रीब है कि 

नेकी वालों को और ज्य़ादा दें(18)


*तफ़सीर*

     (16) “उस बस्ती” से बैतुल मक़दिस मुराद है या अरीहा जो बैतुल मक़दिस से क़रीब है, जिसमें अमालिक़ा आबाद थे और उसको ख़ाली कर गए. वहां ग़ल्ले मेवे की बहुतात थी.

     (17) यह दर्वाज़ा उनके लिये काबे के दर्जे का था कि इसमें दाख़िल होना और इसकी तरफ़ सज्दा करना गुनाहों के प्रायश्चित का कारण क़रार दिया गया.

     (18) इस आयत से मालूम हुआ कि ज़बान से माफ़ी मांगना और बदन की इबादत सज्दा वग़ैरह तौबह का पूरक है. यह भी मालूम हुआ कि मशहूर गुनाह की तौबह ऐलान के साथ होनी चाहिये. यह भी मालूम हुआ कि पवित्र स्थल जो अल्लाह की रहमत वाले हों, वहाँ तौबह करना और हुक्म बजा लाना नेक फलों और तौबह जल्द क़ुबूल होने का कारण बनता है. (फ़त्हुल अज़ीज़). इसी लिये बुज़ुर्गों का तरीका़ रहा है कि नबियों और वलियों की पैदाइश की जगहों और मज़ारात पर हाज़िर होकर तौबह और अल्लाह की बारगाह में सर झुकाते हैं. उर्स और दर्गाहों पर हाज़िरी में भी यही फ़ायदा समझा जाता है.

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

*​DEEN-E-NABI ﷺ*

📲JOIN WHATSAPP

*(बहनों के लिये अलग ग्रुप)*

📱+91 95580 29197

📧facebook.com/deenenabi

📧Deen-e-nabi.blogspot.in

📧https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA

No comments:

Post a Comment