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Tuesday 25 September 2018

*हमारे नारों में कितनी सच्चाई ?* #05


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     जब इन बुजुर्गो के बताए राह पे न चलकर दामन छोड़ दिया है, तो ये समजमें नही आता कि उनके दामन को न छोड़ेंगे की रट क्यों लगा रहे है!

     नमाज़ न पढ़नेवाले सुन्नतों पर न चलनेवाले शैतान की पैरवी कर रहे है, गाने बाजे, फिल्मे ड्रामे देखने वाले शैतान की पैरवी कर रहे है, अल गरज़ इस्लाम की शरीअत के खिलाफ जितने भी काम है वो सब शैतान के काम है वो शैतान की पैरवी कर रहे है शैतान का दामन थाम रहे है।

     तो जब पैरवी करके शैतान का दामन पकड़े और ज़बान से बुजुर्गो के दामन पकड़ने का एलान करे! क्या इसमें जहालत का अंधेरा नहीं दिखता?

     जिनसे जितनी मुहब्बत हम रखते है उनके कमो से भी हमे उतनी ही महब्बत होती है। मुहब्बत मुहीब को अंधा व बेहरा बना देता है। वो महबूब के अमल में फायदा व नुक़्शान नही देखता, सिर्फ इतना ही देखता है कि ये काम मेरे महबूब को पसंद है? तो अब मुहब्बत का तकाज़ा ये है कि महबूब को जो पसन्द है उसे हम भी पसन्द करे।

     मजनू को लैला से मुहब्बत थी, तो वो लैला की गली के कुत्ते से भी मुहब्बत करता था! उसकी निगाह कुत्ते की और न थी बल्कि लैला की गली की और थी। तो जब एक दुन्या का आशिक़ अपनी माशुकके गली के कुत्ते को पसंद करता है, तो ए मुसलमानो हम तो अल्लाह के महबूब मुहम्मद मुस्तफा ﷺ से मुहब्बत का दावा करते है तो फिर उनकी सुन्नतों पर अमल करने में शर्म क्यों? हमारे महबूब को चेहरे पे दाढ़ी सजाना पसन्द है तो अब हम ये नहीं देखेंगे कि ये हम पे अच्छी लगेगी या नहीं। क्या तुम मुहब्बत के दावे करके भी उनके अमल में अपना फायदा देख रहे हो? आह! क्या तुम्हें पता नहीं कि मुहब्बत की राह में फायदा देखने वाला मतलब परस्त कहलाता है?

     अब तू खुद फैसला कर की तेरी मुहब्बत सच्ची नहीं? ये मतलब परस्ती की है। जो काम तुजे पसन्द आता हैं उसे अपनाता है और जो काम तेरी चाहत के मुताबिक़ नही उसे तू छोड़ देता है! तो इससे ज़ाहिर होता है कि तू नफ़्स का आशिक़ है नबी का नहीं। जब तू आमाल शैतान के करता है तो नबी का दामन न छोड़ेंगे ऐसे नारे क्यों लगता है?


बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍️तोहफए नजात, हिस्सा-6* 20

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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