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Thursday 27 September 2018

हमारे नारों में कितनी सच्चाई ?* #08


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

हज़रत इमामे हुसैन رضي الله عنه को कौन नही जानता। आप अली के लाल, फातिमा के लखते जिगर और नबी ﷺ के नवासे है। जिनको नबी ﷺ ने जन्नती जवानों के सरदार की बशारत दी। इमाम हुसैन رضي الله عنه खुद तो कोई काम शरीअत के विरुद्ध न करते बल्कि शरीअत के खिलाफ करने वाले को क़बूल भी न करते।

     क्या आप जानते है इमाम हुसैन को खिलाफत से मतलब नही था, लेकिन जब अमीरे मुआविया رضي الله عنه का विसाल हुआ। उसके बाद आप की जगह आपका बीटा यजीद खलीफा बन बैठा। उसके अमल अच्छे न थे वो फासिको फाजिर था, बेनामाज़ी था इसी वजह से वो खलीफा बनने के लायक़ नही था। लेकिन सत्ता के जोर में वो खलीफा बन बैठा और लोगो को अपनी बैत करने पर मजबूर करने लगा। लेकिन खानदाने रसूल के चश्मो चिराग ने बातिल के सामने अपना सर तो कटा सकते है पर उसके सामने सर जुका नही सकते। यजीद ने आप رضي الله عنه को भी उसकी बैत के लिए मजबूर किया। आप फासिको फाजिर को अपना अमीर क़बूल कर के दीन को नुक़्शान पोहचाना नही चाहते थे। इसी वजह से कर्बला की जंग हुई और इस जंग में आप के साथ आप के खानदान के चिराग बुझ गये और शहादत पा ली। न आपने और न आप के खानदान ने बे अमल को क़बूल किया।


बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍️तोहफए नजात, हिस्सा-6* 25

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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