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Saturday 1 September 2018

नमाज़ का तरीक़ा* #25


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*नमाज़ के 7 फराइज़* #05

*_3 किराअत_* #02

     इमाम के पीछे मुक्तदि को नमाज़ में किराअत जाइज़ नहीं न सूरतुल फातिहा न आयत। चाहे आहिस्ता किराअत वाली नमाज़ हो या बुलंद आवाज़ में किराअत वाली नमाज़ हो। इमाम की किराअत मुक्तदि के लिये काफी है। 


     अगर अकेले फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ रहा है और किसी रकअत में किराअत न की या फ़क़त एक में की, नमाज़ फासिद् हो गई।


     फर्ज़ो में ठहर ठहर कर किराअत करे और तरावीह में मुतवस्सीत अंदाज़ पर और रात के नवाफ़िल में जल्द पढ़ने की इजाज़त है, मगर ऐसा पढ़े की समझ में आ सके यानी कम से कम मद का जो दरजा क़ारियो ने रखा है उस को अदा करे वरना हराम है, इस लिये के तरतील से क़ुरआन पढ़ने का हुक्म है।

     आज कल के अक्सर हुफ़्फ़ाज़ इस तरह पढ़ते है की मद का अदा होना तो बड़ी बात है कुछ लफ़्ज़ों के अलावा बाकी लफ्ज़ का पता ही नहीं चलता न तसहिहे हरुफ़ होती बल्कि जल्दी में लफ्ज़ के लफ्ज़ खा जाते है और इस पर तफाखुर होता है की फुला इस क़दर पढ़ता है ! हाला की इस तरह क़ुरआने मजीद पढ़ना हराम है। 


बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 165*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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