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Wednesday 19 September 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #253


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*दाऊद عليه السلام और सुलेमान عليه السلام की नबुव्वत का ज़िक्र*

     और बेशक हमने दाऊद और सुलेमान को बड़ा इल्म अता किया था और दोनों ने कहा, सब खूबियां अल्लाह को जिसने हमें अपने बहुत से ईमान वाले बन्दों पर फ़ज़ीलत बख्शी।

     इल्म से मुराद लोगों के दरमियान फैसला का इल्म, परिंदों की बोलियां जानने का इल्म वगैरह, हमे फ़ज़ीलत दी इससे मुराद नबुव्वत और जिन्नों व शैतानों को आपके ताबे बनाना है।

     इल्म से इंसान को फ़ज़ीलत हासिल होती है। इंसान को चाहिये कि नेमतों के हासिल होने पर उनका शुक्रिया अदा कर, किसी नेअमत का इज़हार बतौर तकब्बुर नाजायज़ है बतौर शुक्र ज़िक्र करना सुन्नते अम्बियाए किराम व मुस्तहब है।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 202

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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