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Thursday 27 September 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #261


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*हवा सुलेमान عليه السلام के ताबेअ थी*

     हवा को सुलेमान عليه السلام के ताबेअ इस तरह कर दिया गया था जिस तरह सवारी इंसान के ताबेअ होती है।

     हज़रत क़तादा رضي الله عنه फरमाते है आप عليه السلام सुबह ज़वाल तक इतना सफर कर लेते थे जितना सय्याह लोग एक माह में करते और ज़वाल से शाम तक इतना सफर कर लेते जितना एक माह में किया जाता। आप सुबह बैतूल मुक़द्दस में होते तो क़ैलुला के वक़्त अस्तगर में पहुंच जाते। फिर अस्तगर से शाम तक खुरासान के किले तक पहुंच जाते।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 218

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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