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Saturday 29 September 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #263


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*सुलेमान عليه السلام के लिये तांबे का चश्मा*

     अल्लाह फरमाता है: और हमने उनके लिये पिघले हुए तांबे का चश्मा बहाया।

     इसका मक़सद तो ये था कि आपके लिये अल्लाह ने तांबे को इस तरह नर्म कर दिया था जैसे आपके बाप दाऊद عليه السلام के लिये लोहा नर्म कर दिया था। तांबे की सनअत वाले लोग आपके पास ठंडा तांबा लाते आप बगैर आग और कूटने के जैसे उन्हें ज़रूरत होती उसी तरह बना देते। दूसरा मतलब ये है कि आपको अल्लाह ने तांबे की धात एक चश्मा की सूरत में अता की थी जितना तांबा ज़रूरी होता उतना उस चश्मे से ले लिया जाता।


*सुलेमान عليه السلام का लश्कर*

     सुलेमान عليه السلام का लश्कर 3 हिस्सों पर मुश्तमिल था, जिन्न, इंसान और परिंदे।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 219

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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