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Saturday 29 September 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #264


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*सुलेमान عليه السلام का चूंटी का कलाम सुनकर मुस्कुराना*

     आम तौर पर सुलेमान عليه السلام और आपका लश्कर हवा के ज़रिये सफर किया करते लेकिन उस सफर में आप आम लोगो की तरह सफर कर रहे थे। कुछ लोग पैदल चल रहे थे और कुछ सवारी पर सवार थे। चुंटियो कि वो बस्ती ताइफ़ या शाम में थी। उनको हुक्म देने वाली उनकी मलका थी। हसने हुक्म दिया कि सब अपने घरों में दाखिल हो जाए।

     आप عليه السلام ने चूंटी की आवाज़ तीन माइल दूर से सुनी थि। ये अल्लाह के नबी का मोजिज़ा है इसमें कोई ताअज्जुब की बात नहीं। आपने मुश्कुरा कर लश्कर को आगे चलने से रोक दिया था कि चीटियां अपने घरों में दाखिल हो सकें।

     आपके मुस्कुराने की एक वजह चींटी की एहतियाती तदाबीर पर ताअज्जुब करना था और दूसरी वजह ये थी कि आपको चींटी की आवाज़ सुनने की रब ने जो तौफ़ीक़ अता फ़रमाई थी उस पर इज़हारे फरहत व सुरूर था।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 221

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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