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Monday 10 September 2018

*नमाज़ का तरीक़ा* #34


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*नमाज़ के वाजिबात* #04

★ फ़र्ज़ वित्र् और सुन्नते मुअक्कदा में अत्तहिय्यात के बाद कुछ न पढ़ना।


★ दोनों क़ादो में अत्तहिय्यत मुकम्मल पढ़ना। अगर एक लफ्ज़ भी छूटा तो वाजिब तर्क हो जाएगा और सज्दए सहव वाजिब होगा। 


★ फ़र्ज़, वित्र् और सुन्नते मुअक्क़दा के क़ादए ऊला में अत्तहिय्यत के बाद अगर बे ख्याली में "अल्लाहुम्म सल्ले आला मुहम्मदीन या अल्लाहुम्म सल्ले आला सय्यिदिना" कह लिया तो सज्दए सहव वाजिब हो गया और अगर जानबुझ कर कहा तो नमाज़ लैंटाना वाजिब है।


बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 172*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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