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Tuesday 11 September 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-9, आयत, ⑦②*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और जब तुमने एक ख़ून किया तो एक दूसरे पर उसकी तोहमत (आरोप) डालने लगे और अल्लाह को ज़ाहिर करना था जो तुम छुपाते थे.


*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-9, आयत, ⑦③*

     तो हमने फ़रमाया उस मक्त़ूल को उस गाय का एक टुकड़ा मारो (1) अल्लाह यूं ही मुर्दें ज़िन्दा करेगा और तुम्हें अपनी निशानियां दिखाता है कि कहीं तुम्हें अक्ल़ हो (2)


*तफ़सीर*

     (1) बनी इस्राइल ने गाय ज़िब्ह करके उसके किसी अंग से मुर्दे को मारा. वह अल्लाह के हुक्म से ज़िन्दा हुआ. उसके हल्क़ से ख़ून के फ़व्वारे जारी थे. उसने अपने चचाज़ाद भाई को बताया कि इसने मुझे क़त्ल किया है. अब उसको भी क़ुबूल करना पड़ा और हज़रत मूसा ने उस पर क़िसास का हुक्म फ़रमाया और उसके बाद शरीअत का हुक्म हुआ कि क़ातिल मृतक की मीरास से मेहरूम रहेगा. लेकिन अगर इन्साफ़ वाले ने बाग़ी को क़त्ल किया या किसी हमला करने वाले से जान बचाने के लिये बचाव किया, उसमें वह क़त्ल हो गया तो मृतक की मीरास से मेहरूम न रहेगा.

     (2) और तुम समझो कि बेशक अल्लाह तआला मुर्दे ज़िन्दा करने की ताक़त रखता है और इन्साफ़ के दिन मुर्दो को ज़िन्दा करना और हिसाब लेना हक़ीक़त है.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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