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Thursday 13 September 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-9, आयत, ⑦⑤*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

तो ऐ मुसलमानों, क्या तुम्हें यह लालच है कि यहूदी तुम्हारा यक़ीन लाएंगे और उनमें का तो एक समूह वह था कि अल्लाह का कलाम सुनते फिर समझने के बाद उसे जान बूझकर बदल देते (5)


*तफ़सीर*

     (5) जैसे उन्होंने तौरात में कतर ब्योंत की और सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की तारीफ़ के अल्फ़ाज़ बदल डाले.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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