Pages

Tuesday 18 September 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-9, आयत, ⑧①*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

हाँ क्यों नहीं जो गुनाह कमाए और उसकी ख़ता उसे घेर ले(12) वह दोजख़ वालों में है, उन्हें हमेशा उसमें रहना.


*तफ़सीर*

     (12) इस आयत में गुनाह से शिर्क और कुफ़्र मुराद है. और “घेर लेने” से यह मुराद है कि निजात के सारे रास्ते बन्द हो जाएं और कुफ़्र तथा शिर्क पर ही उसको मौत आए क्योंकि ईमान वाला चाहे कैसा ही गुनाहगार हो, गुनाहों से घिरा नहीं होता, इसलिये कि ईमान जो सबसे बड़ी फ़रमाँबरदारी है, वह उसके साथ है.

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

*​DEEN-E-NABI ﷺ*

📲JOIN WHATSAPP

*(बहनों के लिये अलग ग्रुप)*

📱+91 95580 29197

📧facebook.com/deenenabi

📧Deen-e-nabi.blogspot.in

📧https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA

No comments:

Post a Comment