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Wednesday 10 October 2018

*अल्लाह की महब्बत कैसे हासिल करें ?* #02


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     ईमान वालों को अल्लाह से कैसी मुहब्बत होती है, अल्लाह इरशाद फरमाता है: और ईमान वालों को अल्लाह के बराबर किसी की महब्बत नहीं।

(पारह 2, सूरए बक़रह, 165)

     इस आयत के तहत तफ़्सीर "सिरातुल जिनान" जिल्द 1 सफ़हा 264 पर बयान होता है:

     अल्लाह के मक़बूल बन्दे, तमाम मख़लूक़ात से बढ़ कर अल्लाह से महब्बत करते है। महब्बते इलाही में जीना और महब्बते इलाही में मरना, उनकी ज़िंदगी का मक़सद होता है। अपनी हर खुशी पर अपने रब की रिज़ा को तरजीह देना, नरम बिस्तरों को छोड़ कर अल्लाह की बारगाह में सर को जुकना, यादे इलाही में रोना, रिज़ाए इलाही के हुसूल के लिए तड़पना, सर्दियों की तवील रातों में क़याम और गर्मियों के लम्बे दिनों में रोज़े, अल्लाह के लिये महब्बत करना उसी के लिये दुश्मनी रखना, उसी की खातिर किसी को कुछ देना और उसी की खातिर किसी से रोक लेना, नेअमत पर शुक्र, मुसीबत पर सब्र, हर हाल में अल्लाह पर तवक्कुल, अपने हर मुआमले को अल्लाह के सुपुर्द कर देना, दिल को गैर की महब्बत से पाक रखना, अल्लाह के प्यारो का इयाज़ मंद रहना, अल्लाह के सबसे प्यारे रसूल ﷺ को दिलो जान से महबूब रखना, अल्लाह के कलाम की तिलावत करना ये तमाम उमूर और इन के इलावा सेकड़ो काम ऐसे है, जो महब्बते इलाही की दलील भी है और इसके तक़ाज़े भी है।


बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍️अल्लाह की महब्बत कैसे हासिल हो ?* 6

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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