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Sunday 21 October 2018

*बरज़ख़ का बयान* #03


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सवाल* : बरज़ख़ में मुसलमान की रूह कहाँ रहती है?

     *जवाब* : मुसलमान की रूह हस्बे मर्तबा मुख्तलिफ मकमों में रहती है।


     *सवाल* : बरज़ख़ में काफिरा की रूह कहा रहती है?

     *जवाब* : काफिरों की खबीस रूहे बाज़ की उन के मरघट या क़ब्र पर रहती है, बाज़ की चाहे भरहुत में की यमन में एक नाला है, बाज़ की पहली, दूसरी, सातवीं ज़मीन तक, बाज़ की उस के भी नीचे सिज्जिन में, और वो कहीं भी हो, जो उस की कब्र या मरघट पर गुज़रे उसे देखते, पहचानते, बात सुनते है मगर कहीं जाने आने का इख्तियार नहीं कि क़ैद है।

*✍️दिलचस्प मालूमात* 25

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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