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Friday 5 October 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-12, आयत, ①ⓞ②*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और उसके मानने वाले हुए जो शैतान पढ़ा करते थे सुलैमान की सल्तनत के ज़माने में (10) और सुलैमान ने क़ुफ़्र न किया (11) हाँ शैतान काफ़िर हुए (12) लोगों को जादू सिखाते हैं और वह (जादू) जो बाबुल में दो फ़रिश्तों हारूत और मारूत पर उतरा और वो दोनों किसी को कुछ न सिखाते जब तक यह न कह लेते कि हम तो निरी आज़मायश हैं तू अपना ईमान न खो (13) तो उनसे सीखते वह जिससे जुदाई डालें मर्द और उसकी औरत में और उससे ज़रर (हानि)  नहीं पहुंचा सकते किसी को मगर ख़ुदा के हुक्म से (14) और वो सीखते हैं जो उन्हें नुक़सान देगा नफ़ा न देगा और बेशक ज़रूर उन्हें मालूम है कि जिसने यह सौदा लिया आख़िरत में उसका कुछ हिस्सा नहीं और बेशक क्या बुरी चीज़ है वह जिसके बदले उन्होंने अपनी जानें बेचीं किसी तरह उन्हें इल्म होता (15)


*तफ़सीर*

     (10) हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम के ज़माने में बनी इस्राइल जादू सीखने में मशग़ूल हुए तो आपने उनको इससे रोका और उनकी किताबें लेकर अपनी कुर्सी के नीचे दफ़्न कर दीं. हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम की वफ़ात के बाद शैतानों ने वो किताबें निकाल कर लोगों से कहा कि सुलैमान इसी के ज़ोर से सल्तनत करते थे. बनी इस्राइल के आलिमों और नेक लोगों ने तो इसका इन्कार किया मगर जाहिल लोग जादू को हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम का इल्म बताकर उसके सीखने पर टूट पडे. नबियों की किताबें छोड़ दीं और हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम पर लांछन शुरू की. सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के ज़माने तक इसी हाल पर रहे. अल्लाह तआला ने हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम की सफ़ाई के लिये हुज़ूर पर यह आयत उतारी.

     (11) क्योंकि वो नबी हैं और नबी कुफ़्र से बिल्कुल मासूम होते हैं, उनकी तरफ़ जादू की निस्बत करना बातिल और ग़लत है, क्योंकि जादू का कुफ़्रियात से ख़ाली होना लगभग असम्भव है.

     (12) जिन्होंने हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम पर जादूगरी का झूटा इल्ज़ाम लगाया.

     (13) यानी जादू सीख कर और उस पर अमल और विश्वास करके और उसको दुरूस्त जान कर काफ़िर न बन. यह जादू फ़रमांबरदार और नाफ़रमान के बीच अन्तर जानने और परखने के लिये उतरा. जो इसको सीखकर इस पर अमल करे, काफ़िर हो जाएगा. शर्त यह है कि जादू में ईमान के विरूद्ध जो बातें और काम हों और जो उससे बचे, न सीखे या सीखे और उसपर अमल न करे और उसके कुफ़्रियात पर विश्वास न रखे वह मूमिन रहेगा, यही इमाम अबू मन्सूर मातुरीदी का कहना है. जो जादू कुफ़्र है उसपर अमल करने वाला अगर मर्द है, क़त्ल कर दिया जाएगा. जो जादू कुफ़्र नहीं, मगर उससे जानें हलाक की जाती हैं, उसपर अमल करने वाला तरीक़े को काटने वालों के हुक्म में है, मर्द हो या औरत. जादूगर की तौबह क़ुबूल है.( मदारिक)

     (14) इससे मालूम हुआ कि असली असर रखने वाला अल्लाह तआला है. चीज़ों की तासीर उसी की मर्ज़ी पर है.

     (15) अपने अंजामेकार और अज़ाब के कड़ेपन का.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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