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Saturday 13 October 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-13, आयत, ①①①*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और किताब वाले बोले हरगिज़ जन्नत में न जाएगा मगर वह जो यहूदी या ईसाई हो (12) ये उनकी ख्य़ालबंदिया हैं, तुम फ़रमाओ लाओ अपनी दलील (13) अगर सच्चे हो.


*तफ़सीर*

     (12) यानी यहूदी कहते हैं कि जन्नत में सिर्फ़ वही दाख़िल होंगे, और ईसाई कहते हैं कि फ़क़त ईसाई जाएंगे, और ये मुसलमानों को दीन से हटाने के लिये कहते हैं. जैसे स्थगन आदेश वग़ैरह के तुच्छ संदेह उन्होंने इस उम्मीद पर पेश किये थे कि मुसलमानों को अपने दीन में कुछ संदेह हो जाए. इसी तरह उनको जन्नत से मायूस करके इस्लाम से फेरने की कोशिश करते हैं. चुनांचे पारा के अन्त में उनका यह कथन दिया हुआ है “वक़ालू कूनू हूदन औ नसारा तहतदू” (यानी और किताब वाले बोले यहूदी या ईसाई हो जाओ, राह पा जाओगे). अल्लाह तआला उनके इस बातिल ख़्याल का रद फ़रमाता है.

     (13) इस आयत से मालूम हुआ कि इन्कार का दावा करने वाले को भी दलील या प्रमाण लाना ज़रूरी है. इसके बिना दावा बातिल और झूठा होगा.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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