Pages

Sunday 21 October 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-14, आयत, ①②ⓞ*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और कभी तुमसे यहूदी और नसारा (ईसाई) राज़ी न होंगे जब तक तुम उनके दीन का अनुकरण न करो (19) तुम फ़रमाओ  अल्लाह ही की हिदायत हिदायत है (20) और (ऐ सुनने वाले, कोई भी हो) अगर तू उनकी ख्वाहिशों पर चलने वाला हुआ बाद इसके कि तुझे इल्म आचुका तो अल्लाह से तेरा कोई बचाने वाला न होगा और न मददगार (21)


*तफ़सीर*

     (19) और यह असम्भव है, क्योंकि वो झूठे और बातिल है.

     (20) वही अनुकरण के क़ाबिल है और उसके सिवा हर एक राह झूठी और गुमराही वाली.

     (21) यह सम्बोधन उम्मते मुहम्मदिया यानी मुसलमानों के लिये है कि जब तुमने जान लिया कि नबीयों के सरदार सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम तुम्हारे पास सत्य और हिदायत लेकर आए, तो तुम हरग़िज़ काफ़िरों की ख़्वाहिशों की पैरवी न करना. अगर ऐसा किया तो तुम्हें कोई अल्लाह के अज़ाब से बचाने वाला नहीं है.(ख़ाज़िन)

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

*​DEEN-E-NABI ﷺ*

📲JOIN WHATSAPP

*(बहनों के लिये अलग ग्रुप)*

📱+91 95580 29197

📧facebook.com/deenenabi

📧Deen-e-nabi.blogspot.in

📧https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA

No comments:

Post a Comment