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Thursday 4 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #268


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*बिलक़ीस और उसकी क़ौम का मज़हब*

     वो सूरज की परस्तिश करने वाले थे, कुछ उनमे आग की पूजा करने वाले थे, और कुछ ज़िन्दीक बे दीन यानी यह ज़मीन व आसमान के निज़ाम चलाने या पैदा करने के क़ायल नहीं थे बल्कि ये कहते कि ये निज़ाम बगैर किसी चलाने वाले के चल रहा है। शैतान ने उनके लिये सूरज की इबादत और तरह तरह के कुफ्र और बुरे आमाल के रास्ते मुज़य्यन कर रखे थे। वही शैतान या उसका बातिल राह को मुज़य्यन करना हक़ राह से उनके रोकने का सबब बना जिसकी वजह से वो राहे रास्त पर न आ सके उन्होंने शैतानी राह को ही हसीन व जमील समझा।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 226

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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