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Sunday 7 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #271


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*बिलक़ीस ने खत को इज़्ज़त वाला कहा*

     सुलेमान عليه السلام के खत को किताबे करीम कहने की 3 वजह थी। एक तो ये की उस खत का मज़मून बहुत ही हसीन था। दूसरी ये कि एक करीम यानी इज़्ज़त वाले करम वाले बादशाह की तरफ से ये खत आया है लिहाजा ये खत भी इज़्ज़त वाला है। तीसरी वजह ये यही कि खत सर बमुहर था और जिस खत पर मोहर लगी हुई होती थी उसे करीम खत कहा जाता था।

     नबीए करीम ﷺ ने भी जब बादशाहों की तरफ खुतूत लिखने का इरादा फ़रमाया तो आपने मोहर बनवाई थी क्योंकि आपको बताया गया था कि बादशाह बगैर मोहर के खत क़बूल नहीं करते। मुमकिन है कि एक वजह ये भी हो कि बिलक़ीस बावजूद सूरज परस्त होने के अल्लाह को भी किसी तरह मानती हो जैसे बूत परस्त लोगों के मुतअल्लिक़ रब ने फरमाया: ऐ महबूब अगर आप इन मुशरिकों से सवाल करें ज़मीन व आसमान का ख़ालिक़ कौन है तो ज़रूर ज़रूर कहेंगे अल्लाह। 

     हो सकता है उसने खत को करीम इस लिए कहा कि ये सुलेमान عليه السلام   की तरफ से है और इसे बिस्मिल्लाह से शुरू किया गया है।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 227

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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