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Monday 8 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #272


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*बिलक़ीस का खत के मुतअल्लिक़ मशवरा*

     बिलक़ीस ने अपनी क़ौम के सरदारों के दिल को खुश करने के लिये, अपनी परेशानी को दूर करने के लिये उनसे राय तलब की कि में उस वक़्त तक कोई फैसला नहीं करूंगी जब तक तुम मेरे पास मौजूद होकर मुझे अपनी राय नहीं दोगे।

     क़ौम के सरदारों ने कहा कि हमारे पास जंगी सज़ा व सामान तो काफी मिक़दार में मौजूद हैं और हमें जिस्मानी कुव्वत हासिल है और लड़ाई में हम साबित क़दम रहना भी रहना जानते है। इसलिये अगर जंग करनी हो तो हम इसके लिये तैयार है लेकिन हम तो तुम्हारे हुक्म के पाबन्द है असल हुक्म तुम्हारा ही है तुम्हारी राय ही दरहक़ीक़त असल राय होगी लिहाज़ा जो हुक्म होगा हमे मंज़ूर होगा।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 229

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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