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Monday 15 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #279


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*सुलेमान عليه السلام का ان شاء الله कहना भूल जाना*

     और बेशक हमने सुलेमान को जांचा और तख्त पर एक बेजान बदन डाल दिया फिर रुजू लाया।

     इस आयत के तहत हुज़ूर ﷺ ने फरमाया: सुलेमान عليه السلام ने कहा में आज रात 70 औरतों से जिमाअ करूँगा (आपकी शरीअत में 4 से ज़्यादा निकाह करना मना नहीं था) हर औरत से एक बच्चा पैदा होगा जो बहुत बड़ा शहसवार होगा, और अल्लाह की राह में जिहाद करेगा। आप ने ان شاء الله न कह। आपने 70 औरतों से जिमाअ किया लेकिन कोई भी औरत हामिला न हुई। सिवाए एक औरत के। उसका बच्चा भी ना मुकम्मल बेजान पैदा हुआ।

     ख्याल रहे कि मुस्लिम शरीफ में 70 और बुखारी शरीफ में 40 औरतों का ज़िक्र है, नीज़ ये भी रिवायत में आया कि आप को फरिश्तों ने कहा: कहो लेकिन आपने न कहा, आपका न कहना भूल कर था या क़सदन था किसी सूरत में भी गुनाह नहीं, क्योंकि फ़रिश्ते का हुक्म मानना आप पर फ़र्ज़ नहीं था।

     फ़रिश्ते के कहने पर आप का ان شاء الله न कहना ज़्यादा से ज़्यादा तर्क औला (बेहतर काम को छोड़ना) पाया गया है, इससे गुनाह नहीं कहा जा सकता, अगरचे अम्बियाए किराम के तर्क औला को भी ज़नब से ताबीर कर दिया जाता है।

     हुज़ूर ﷺ ने फरमाया: क़सम है उस ज़ात की जिसके क़ब्ज़ए क़ुदरत में मेरी जान है। अगर सुलेमान عليه السلام ने أن شاء الله कह दिया होता तो तमाम औरतों से बच्चे पैदा होते और तमाम के तमाम बड़े शहसवार और अल्लाह की राह में जिहाद करने वाले होते।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 240

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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