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Monday 15 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #280


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*सुलेमान عليه السلام का फैसला*

     एक आदमी की बकरियां रात के वक़्त छूट गई उनके साथ कोई आदमी न था वो दूसरे शख्स की खेती खा गई। ये मुक़द्दमा दाऊद عليه السلام के सामने पेश हुआ। दाऊद عليه السلام ने तजवीज़ किया कि बकरियां खेती वाले को दे दी चुकीं बकरियों की क़ीमत खेती के बराबर थी। सुलेमान عليه السلام जब फैसला सुना तो आप ने कहा एक फैसला इससे बेहतर और दोनों फरीक़ों के लिये नफामन्द हो सकता है। दाऊद عليه السلام ने फरमाया अच्छा तुम बताओ कि वो क्या है?

     सुलेमान عليه السلام ने फरमाया: बकरियां खेती वाले को सिर्फ इसलिये दी जाये की वो उनसे दूध वगैरह से नफा हासिल करता रहे और बकरियों वाले शख्स को कहा जाये कि वो उस शख्स के खेत मे काम करे और मेहनत करके ज़ाया शुदा फसल के बराबर और फसल काश्त करके तैयार करे। जब खेती अपने हाल पर आ जाये तो खेती वाले को उसकी खेती दे दी जाए और बकरियां वाले को उसकी बकरियां दे दी जाए।

     ये फैसला दाऊद عليه السلام ने भी पसन्द फ़रमाया। उस वक़्त सुलेमान عليه السلام की उम्र 11 साल थी ये दोनों फैसले इज्तेहदी थे जो उस वक़्त की शरीअत के मुताबिक़ थे।

     हज़रत मुजाहिद का क़ौल है कि दाऊद عليه السلام का फैसला कानून के मुताबिक था और सुलेमान عليه السلام का फैसला उन दोनों के दरमियान सुलह कराने की सूरत में था।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 242

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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