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Monday 29 October 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #293


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*शोएब عليه السلام की मदयन को तबलीग*

     मदयन असल मे इब्राहिम عليه السلام के एक बेटे का नाम है उसकी औलाद पर भी मदयन ही बोला जाता रहा। यानी एक क़बीला का नाम मदयन हुआ और फिर उसी क़बीले के लोगो ने एक शहर आबाद किया और उसका नाम मदयन रखा। शोएब عليه السلام उसी क़बीले के फर्द थे।

     आप का नस्ब यूं बयान किया गया है: शोएब बिन नुवैब बिन मदयन बिन इब्राहिम खलीलुल्लाह।

     शोएब عليه السلام ने अपनी क़ौम को तीन चीज़ों का हुक्म दिया। आप عليه السلام ने कहा ऐ मेरी क़ौम अल्लाह की इबादत करो उसके बगैर तुम्हारा कोई मअबूद नहीं। दूसरी बात ये थी कि आपने अपनी नबुव्वत का दावा किया। तीसरी बात ये थी कि उन्हें बुराई से रोका।

     तमाम अम्बियाए किराम की ये आदत रही की वो अपनी क़ौम को बुराइयों से रोकते रहे। ख़ुसूसन सबसे बड़ी बुराई से रोकने में ज़्यादा तवज्जोह देते रहे और इसी से इब्तेदा करते। आपने भी अपनी क़ौम को सबसे पहले यही कहा: नाप और तौल को पूरा करो।

     चूंकि शोएब عليه السلام की क़ौम के लोग ताजिर थे वो नाप तौल में कमी करते थे इस तरह लोगों का माल नाजायज़ तरीक़ा से हड़प करते थे इस बुराई पर फ़ित्ना फसाद मुरत्तब होता था इसलिये सबसे पहले इसी चीज़ की तरफ आपने तवज्जोह फ़रमाई और ये कहा "और लोगों की चीजें घटाकर न दो."

     इसके बाद आप ने फरमाया: और ज़मीन में इन्तेक़ाम के बाद फसाद न फैलाओ।

     जमीन में फसाद फैलाना दीन व दुनिया को बर्बाद करना है अल्लाह तआला ने अपने नबी भेजकर जब ज़मीन में इस्लाह पैदा कर दी, एक खास निज़ाम पर मुन्तज़िम कर दिया, तो अब तुम बुराईयों के इर्तेकाब से इसमें फसाद न फैलाओ। इसी तरह जब अल्लाह तआला ने तुम्हें कसीर माल और नेमते अता करके जमीन में इंतेज़ाम पैदा कर दिया तो तुम इसमें हराम की आमेज़िश करके फसाद क्यों फैलाते हो? 

     इन तमाम उमूर का मक़सद यह है कि तुम अल्लाह तआला के अम्र की ताज़ीम बजा लाओ यानी अल्लाह तआला की वहदायित और अपने नबी की नबुव्बत को तस्लीम करो। अल्लाह तआला की मख़लूक़ पर महेरबानी करो। अगरचे तुम तमाम मखलूक़ को नफा तो नहीं पहुंचा सकते लेकिन कम से कम फसाद को छोड़कर कम तौलने कम नापने को छोड़कर और हर किस्म के शर से दूर रह कर अल्लाह तआला की मखलूक को ईज़ा(तकलीफ) से तो बचा सकते हो, अगर तुम ईमान लाते हो तो तुम्हारे लिये अल्लाह तआला के अहकाम पर अमल करना ही बेहतर है।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 258

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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