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Friday 30 November 2018

सूरतुल बक़रह, रुकुअ-20, आयत, ①⑥⑦*

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और कहेंगे अनुयायी काश हमें लौट कर जाना होता (दुनिया में) तो हम उनसे तोड़ देते जैसे उन्होंने हमसे तोड़दी, यूंही अल्लाह उन्हें दिखाएगा उनके काम उनपर हसरतें होकर (4) और वो दोज़ख से निकलने वाले नहीं.


*तफ़सीर*

     (4) यानी अल्लाह तआला उनके बुरे कर्म उनके सामने करेगा तो उन्हें काफ़ी हसरत होगी कि उन्होंने ये काम क्यों किये थे. एक क़ौल यह है कि जन्नत के मक़ामात दिखाकर उनसे कहा जाएगा कि अगर तुम अल्लाह तआला की फ़रमाँबरदारी करते तो ये तुम्हारे लिये थे. फिर वो जगहें ईमान वालों को दी जाएंगी. इसपर उन्हें हसरत और शर्मिन्दगी होगी.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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