بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*सज्दए तिलावत के मदनी फूल* #01
आयते सज्दा पढ़ने या सुनने से सज्दा वाजिब हो जाता है। पड़ने में ये शर्त है कि इतनी आवाज़ में हो कि अगर कोई उज़्र न हो तो खुद सुन सके, सुनने वाले के लिये ये ज़रूरी नही कि बिला क़स्द सुनी हो बिला क़स्द सुनने से भी सज्दा वाजिब हो जाता है।
किसी भी ज़बान में आयत का तर्जमा पड़ने और सुनने वाले पर सज्दा वाजिब हो गया, सुनने वाले ने ये समझा हो या न समझा हो कि आयते सज्दा का तर्जमा है। अलबत्ता ये ज़रूरी है कि उसे न मालुम हो तो बता दिया गया हो की ये आयते सज्दा का तर्जमा था और आयत पढ़ी गई हो तो इसकी ज़रूरत नहीं की सुनने वाले को आयते सज्दा होना बताया गया हो।
*✍🏼आलमगिरी* 1/133
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼नमाज़ के अहकाम* स.212
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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