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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
पारह 30 सूरतुल माऊन की आयत 4 व 5 में इरशाद होता है :
_तो उन नमाज़ियों की खराबी है जो अपनी नमाज़ से भूले बेठे है_
हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा आयत 5 के तहत फरमाते है : कभी न पढ़ना, पाबंदी से न पढ़ना, सहीह वक़्त पर न पढ़ना, नमाज़ सहीह तरीके से अदा न करना, शौक़ से न पढ़ना, समझ बुझ कर अदा न करना, कसल व सुस्ती, बे परवाइ से पढ़ना।
*✍🏽नुरुल इरफ़ान 958*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम 204*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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