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Sunday 9 December 2018

नुबुव्वत का बयान* #02

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - पैगम्बरों और दूसरे इन्सानों में क्या फर्क है? 

     *जवाब* - ज़मीनो आस्मान का फर्क होता है। नबी व रसूल खुदा के खास और मासूम बन्दे होते हैं, इन की निगरानी और तरबिय्यत खुद अल्लाह तआला फरमाता है। सगीरा कबीरा गुनाहों से बिल्कुल पाक होते हैं। आली नसब, आली हसब (यानी बुलन्द सिलसिलए खानदान) इन्सानियत के आला मर्तबे पर पहुंचे हुवे, खूब सूरत, नेक सीरत, इबादत गुजार, परहेजगार, तमाम अख़्लाके हसना से आरास्ता और हर किस्म की बुराई से दूर रहने वाले होते हैं, इन्हें अक्ले कामिल अता की जाती है जो औरों की अक्ल से दरजों बुलन्दो बाला होती है। किसी हकीम और किसी फुल्सफी की अक्ल किसी साइन्सदान की फेहमो फिरासत उस के लाखवें हिस्से तक भी नहीं पहुंच सकती और अक्ल की ऐसी बुलन्दी क्यूं न हो कि येह अल्लाह के लाडले बन्दे और उस के महबूब होते हैं। अलाह तआला उन्हें हर ऐसी बात से दूर रखता है जो बाइसे नफ़रत हो, इसी लिये अम्बियाए किराम के जिस्मों का बरस (सफ़ेद दाग) जुज़ाम (कोढ़) वगैरा ऐसी बीमारियों से पाक होना जरूरी है जिस से लोग नफरत करते हैं। फिर तमाम मखलूक में सारे नबियों में सब से बढ़ कर अक्ले कामिल व अक्मल हमारे नबिय्ये मुकर्रम हुज़रते मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ को आता फरमाई गई हैं। 

    चुनांचे वहब बिन मुनब्बेह फरमाते है में ने 71 आसमानी किताबो में लिखा देखा है कि रोज़े अव्वल से क़यामत क़ायम होने तक तमाम जहान के लोगों को जितनी अक़्ल अता की गई है वो सब मिल कर हुज़ूर ﷺ की अक़्ल के आगे ऐसी है जैसे दुन्या के तमाम रेगिस्तान के सामने रेत का एक दाना (ज़र्रा).

*✍️बुन्यादी अक़ाइद और मामुलाते अहले सुन्नत* 13

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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