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Friday 28 December 2018

तरावीह का बयान* #04

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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     *सुवाल* - क्या तरावीह बैठ कर पढ़ सकते हैं ? 

     *जवाब* - जी नहीं ! तरावीह बिला उज्र बैठ कर पढ़ना मकरूह (तन्जीही) हैं, बल्कि बाज फुकुहाए किराम के नजदीक तो (बिला उज्रे बैठ कर) तरावीह होती ही नहीं।


     *सुवाल* - ईशा के फ़र्ज़ों से पहले तरावीह अदा करली तो हो जाएगी ?

     *जवाब* - तरावीह का वक़्त ईशा के फ़र्ज़ पढ़ने के बाद से सुबह सादिक़ तक है। अगर ईशा के फ़र्ज़ अदा करने से पहले पढ़ ली तो न होगी।


     *सुवाल* - क्या नमाज़े वित्र पढ़ने के बाद तरावीह पढ़ी जा सकती है ?

     *जवाब* - आम तौर पर तरावीह वित्र से पहले पढ़ी जाती है लेकिन अगर कोई वित्र पहले पढ़ ले तो तरावीह बाद में भी पढ़ सकता है।

*✍️दिलचस्प मालूमात* 71

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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