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*माह 4* - रबीउल आखिर
*हिजरी* - 1440
*11वी शरीफ*
*उर्स*
हज़रत ख्वाजा महमूद दरियाई दूल्हा (बीरपुर शरीफ)
सैयद अहमदमियां रफ़ाक़ति (पाटण)
हज़रत बनूमियां आमलीवाले (गंजशोहदा, अहमदाबाद)
सैयद मकबूल शफी चिश्ती (शीनोर)
हज़रत घाटे पीर (दाहोद)
*संदल*
हज़रत सुलैमान बावा (डुंगरी)
सैयद बुरहानुद्दीन
सैयद अली (पेटलाद)
सैयद नज़रअली दुन्दुनशाह वली (हड़ियाणा, जामनगर)
*नॉट*
3 बार कुल्हुवल्लाह, एक बार सूरए फातिहा आगे पीछे दुरुद शरीफ पढ़ के हुज़ूर ﷺ की व इन बुज़ुर्गाने दिन की बारगाह में और हज़रत आदम ता क़यामत तक के तमाम मोमिनो की रूह को नज़र कर दीजिये।
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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