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Tuesday 4 December 2018

*​​फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा​​​​​* #15


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_आइशा और वाक़ीआए इफ्क_* #04

     उम्मुल मुअमिनिन رضي الله تعالي عنها फरमाती है : में उस रोज़ भी रोती रही मेरे आसु न रुकते थे और न ही मुझे नींद आती थी। आप ने फ़रमाया : मेरे वालीदेन सुब्ह के वक़्त मेरे पास आए हाला की इस तरह में मुसलसल दो रातो और एक दिन रोती रही थी मेरे आसु नही रुकते थे और न ही मुझे नींद अति थी हत्ता की में ने ख़याल किया की मेरा रोना मेरा जिगर फाड़ देगा।

     एक दफा मेरे वालीदेन के  पास बेठे थे और में रो रही थी इसी अस्ना में एक अन्सारिया औरत ने अंदर आने की इजाज़त मांगी मेने उसे इजाज़त दी तो उस ने भी मेरे साथ बेथ कर रोना शुरू कर दिया। हम इसी हालत में बेठे की रसूलुल्लाहﷺ हमारे पास तशरीफ़ लाए, सलाम करने के बाद तशरीफ़ फरमा हुए, हाला की जब से मेरे मुतअल्लिक़ किलो काल होती रही इससे क़ब्ल आप मेरे पास तशरीफ़ नही लाए थे। एक महीना इंतज़ार किया लेकिन मेरे मुआमले के मुतअल्लिक़ आप पर वही नाज़िल नही हुई।

     उम्मुल मुअमिनिन رضي الله تعالي عنها ने फ़रमाया : रसूलुल्लाहﷺ जब तशरीफ़ फरमा हुए तशह्हुद पढ़ा, फिर आपﷺ ने फ़रमाया : ऐ आइशा ! मुझे तुम्हारी तरफ से ऐसी ऐसी बाते पहुची है अगर तुम पाक दामन हो तो अनक़रीब अल्लाह तुम्हे बरी कर देगा और अगर तुम गुनाह में मुल्व्वास हो तो अल्लाह से इस्तिग़फ़ार करो और उस के हुज़ूर तौबा करो क्यू की जब बन्दा ऐतिराफे जुर्म करने के बाद अल्लाह की तरफ रुजू करता है तो अल्लाह उसी की तौबा क़बूल फरमा लेता है।

     आपرضي الله تعالي عنها फरमाती है : जब आपﷺ ने अपना कलाम पूरा फ़रमाया मेरे आसु रुक गए हत्ता की में एक क़तरा आसु भी महसूस न करती थी।

     मेरा गुमान भी न था की अल्लाह मेरे मुआमले में वही नाज़िल फ़रमाएगा जिस की तिलावत की जाएगी मुझे इस बात की उम्मीद थी की रसूलुल्लाहﷺ नींद की हालत में ख्वाब देखेंगे जिस के ज़रिए अल्लाह मुझे बरी फरमा देगा। अल्लाह की क़सम ! नबियो के सालारﷺ इस मजलिस से अलाहदा न हुए और न ही घर वालो से कोई बाहर निकला था हत्ता की आप पर वही का नुज़ूल होने लगा, वही की सिद्दत से आपﷺ की वही हालत होने लगी जो होती थी हत्ता की सख्त सर्दी के दिन में कलाम की सकालत के बाईस जो आपﷺ पर नाज़िल किया गया, मोतियो की मिस्ल आप से पसीने के क़तरे गिर रहे थे।

     जब आपﷺ से वही की सिद्दत ज़ाइल हुई तो आप हस रहे थे और पहला कलिमा जो आप ने इरशाद फ़रमाया ये था : ऐ आइशा ! अल्लाह ने इस बोहतान से तुझे बरी कर दिया है।


*राईसुल मुनाफ़िक़ीन की नापाक साज़िश* 

अगली पोस्ट में.. ان شاء الله

*✍🏽फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 44*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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