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Friday 7 December 2018

*​​फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा​​​​​* #18


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_आइशा और वाक़ीआए इफ्क_* #06


*_अब जो सय्यिदह पर तोहमत लगाए वो काफ़िर है_*

     उम्मुल मुअमिनिन आइशा सिद्दीक़ा رضي الله تعالي عنها पर लगाया जाने वाला इलज़ाम व बोहतान जब क़ुरआनी आयत, फरमाने मुस्तफा और अक़्वाले सहाबा की रु से सरासर झुटा साबित है तो हर मुसलमान पर लाज़िम है की वो हज़रते आइशा सिद्दीक़ा رضي الله تعالي عنها को इस तोहमत से पाक और हर इलज़ाम से बरी जाने, अब आयते क़ुरआनीया से हज़रते आइशा رضي الله تعالي عنها के अफ़िक़ा व तैय्यबा होना वाज़ेह तौर पर साबित है, معاذ الله अब भी अगर कोई आप को पाक साफ़ न जाने तो वो बेशक अपने आप को मोमिन और खादिमे अहले बैत समझता रहे, शरीअत उसे काफ़िर जानती है।

     आला हज़रत अलैरहमा फतावा रज़विय्या में इरशाद फरमाते है : उम्मुल मुअमिनिन सिद्दीक़ा رضي الله تعالي عنها को बोहतान लगाना क़ुफ़्रे खालिस है।

*फतावा रज़विय्या, 14/245*

     अहले बैते नुबुव्वत से महब्बत का ये मतलब नही की चन्द अफ़राद को छोड़ कर बाक़ी पर लानत तान शुरू कर दो, बल्कि गुलिस्ताने मुस्तफा का हर फूल ख्वाह अज़्वाजे मुतह्हरात हो, या औलादे रसूल या सहाबा सब के सब नेक व मक़बूले बारगाह और हमारे सरो के ताज व लाइके सद एहतिराम है। इन में से किसी एक के बारे में बुरा कहना गुस्ताखी व बे अदबी और जहन्नम में ले जाने वाला अमल है।

     अहले बैत से हक़ीक़ी महब्बत ये है की नबिय्ये पाक के घराने के हर फर्द ख्वाह वो आप की अज़्वाज हो या औलाद सब को महबूब जाना और माना जाए, और इस दरे दौलत के वाबस्तगान यानि सहाबए किराम को मुअज़्ज़म व मुकर्रम कहा और समझा जाए। ये है अहले बैते नुबुव्वत से हक़ीक़ी महब्बत जो की सिर्फ और सिर्फ अहले सुन्नत को नसीब हुई है।

*✍🏽फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 53*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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