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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
*इल्मे गैबे मुस्तफा का सुबूत कुरआन से*
अल्लाह अपने पाक कलाम कुरआने मजीद में इर्शाद फ़रमाता है: और येह नबी गैब बताने में बखिल नही। (ث ۳۰، التکویل:٢٤)
इस आयते मुबारको से मालूम हुवा कि हुज़ूर ﷺ गैब बताते हैं और जाहिर हैं कि बताएगा वोही जीस को इल्म होगा। तो विला शुबा रब्बुल आलमीन की इनायत से रहमतुल्लिल आलमीन ﷺ इल्मे गैब की दौलत में मालामाल हैं। बारगाहे रिसालत में आला हज़रत अर्ज करते हैं :
*और कोई गैब क्या तुम से निहां हो भला*
*जब न खुदा ही छुपा तुम पे करोड़ों दुरूद्*
शरहे कलामे रज़ा : या रसूलल्लाहु!! आप की शाने अजमत निशान के क्या कहने! शबे मेराज ऐन जागती हालत में आप ने अपने मुबारक सर की आंखों से अपने पाक परवर दगार का दीदार किया, तो यूं अल्लाह जो कि गैबुल गैबे है वह भी अपने फज्लो करम से आप पर जाहिर व आशकार हो गया तो अब कोई और गैब आप से किस तुरह निहा यानी छुपा रह सकता है।
बाज़ गुमराहों और बद अक़ीदा लेगों के गन्दे जेहनों को शाने हबीबे किब्रिया और इल्मे गैबे मुस्तफा की खुश्बु पसन्द नहीं, मुर्दार खोर गिध की मानिन्द उन की नज़रो फ़िक्र हज़राते अम्बिया व गुकर्रबीने बारगाहे इलाह के नक़ाइस व उयूब तलाश करने की सअये ना मश्कूर में सरगरदा रहती है। इल्मे गैब की बात चली हैं तो अर्ज कर दें कि बाज ऐसी सूरते भी हैं जिन में अम्बियाए किराम को अता होने वाले उलूमे गैबिया का इन्कार मूजिबे कुफ़ है।
*✍️फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा* 56
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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