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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
और काफ़िरों को जहाँ पाओ मारो (8) और उन्हें निकाल दो (9) जहाँ से उन्होंने तुम्हें निकाला था (10) और उनका फ़साद तो क़त्ल से भी सख़्त है (11) और मस्जिदे हराम के पास उनसे न लड़ो जब तक वो तुम से वहां न लड़े (12) और अगर तुमसे लड़ें तो उन्हें क़त्ल करो (13) काफ़िरों की यही सज़ा है.
*तफ़सीर*
(8) चाहे हरम हो या ग़ैर हरम.
(9) मक्कए मुकर्रमा से.
(10) पिछले साल, चुनांचे फ़त्हे मक्का के दिन जिन लोगों ने इस्लाम क़ुबूल न किया उनके साथ यही किया गया.
(11) फ़साद से शिर्क मुराद है या मुसलमानों को मक्कए मुकर्रमा में दाख़िल होने से रोकना.
(12) क्योंकि ये हरम की पाकी के विरूद्ध है.
(13) कि उन्होंने हरम शरीफ़ की बेहुरमती या अपमान किया.
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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