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Monday 24 December 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-24, आयत, ①⑨②*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

फिर अगर वो बाज़ (रूके) रहें (14) तो बेशक अल्लाह बख़्शने वाला मेहरबान है.


*तफ़सीर*

     (14) क़त्ल और शिर्क से.


*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-24, आयत, ①⑨③*

     और उनसे लड़ो यहाँ तक कि कोई फ़ितना न रहे और एक अल्लाह की पूजी हो, फिर अगर वो बाज़ आएं (15) तो ज़्यादती नहीं मगर ज़ालिमों पर.


*तफ़सीर*

     (15) क़ुफ्र और बातिल परस्ती से.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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