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Saturday 8 December 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #332


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*मुद्दत की तकमील के बाद मिस्र वापसी* #03

     मूसा अलैहिस्सलाम ने जब दरख़्त से आसमान की तरफ उठने वाले नूर को देखा और उसमें फ़रिश्तों की तस्बीहत को सुना और आप को जब यह आवाज़ दी तो आपने अपनी आंखों पर हाथ रखकर अर्ज किया। लब्बैक मैं तेरी खिदम्त में हाज़िर हूं मैं तेरी आवाज़ तो सुन रहा हूं तुझे देख नहीं रहा तू कहां है, रब तआला की तरफ से आवाज़ आई: मैं तुम्हारे पास हु, तुम्हारे सामने हूं, तुम्हारे पीछे हूं, तुम्हारा इहाता किए हुए हैं और तुम से भी तुम्हारे ज़्यादा क़रीब हु। 

     आपने तमाम वसवसात को बालाए ताक़ रखते हुए कहा मैं अन्लाह तआला की आवाज़ को अपने ऊपर से और अपने नीचे से और अपने पीछे से और अपने दायें तरफ से और अपनी बायें तरफ से ऐसे ही सुन रह हूं जैसे सामने से सुन रहा हूं। मुझे यकीन हो गया कि यह कलाम मखलूक में से किसी का भी नहीं हो सकता। 

     आ आपने जूते उतार दौ। एक तो इसका मशहूर व मारूफ मतलब यह है कि आप पाकीज़ा जगह आ गये हैं जहां गेरी तजल्ल्यिात क ज़हूर हो रहा है और मैं तुमसे हम कलाम हूं इसलिये अदब का तक़ाज़ा यह है कि तुम अपने जूते उतार दो। एक और वजह जूते उतारने की यह भी थी  कि आपके कदमों को इस सर जमीन की बरकत हासिल हो जाये।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 281

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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