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Monday 10 December 2018

*सूरए बक़रह की आखिरी आयात के फ़ज़ाइल*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ 

     हुज़ूर ने फ़रमाया : अल्लाह ने ज़मीन व आस्मान को पैदा करने से दो हजार साल पहले एक किताब लिखी फिर उस में से बकरह की आखिरी दो आयतें नाज़िल फ़रमाई, जिस घर में तीन रातें इन दो आयतों को पढ़ा जाएगा शैतान उस घर के करीब न आएगा। 


     एक रिवायत के अल्फाज़ कुछ यूं हैं कि जिस घर में इन दो आयतों को पढ़ा जाएगा शैतान तीन दिन तक उस के करीब न आएगा।

 

     हुज़ूर ने फ़रमाया : बेशक अलाह ने मुझे अपने अर्श के नीचे के खजाने में से ऐसी दो आयतें अता फ़रमाई जिन के जरीए सूरतुल बकरह का इख़्तिताम फरमाया, इन्हें सीखो और अपनी औरतों और बच्चों को सिखाओ क्यूं कि येह नमाज़ और कुरआन और दुआ हैं। 


     हुज़ूर  ने फ़रमाया : “जो शख्स सूरए बकरह की आखिरी दो आयतें रात में पढ़ेगा वोह उसे किफ़ायत करेंगी।

     किफायत से मुराद ये है कि ये दो आयतें उस रात के क़याम के क़ायम मक़ाम हो जाएगी या उस रात उसे शैतान से महफूज़ रखेगी या उस रात में नाज़िल होने वाली आफत से बचाएगी या उसे फ़ज़ीलत व सवाब ले लिये काफी होगी ان شاء الله.

*✍️मदनी पंजसुरह* 128

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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