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Sunday 16 December 2018

ईमाने मुफ़स्सल*

*

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ


اٰمَنْتُ بِاللّٰهِ وَمَلٰٓئِكَتِهِ وَكُتُبِهِ وَرُسُلِهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ وَالْقَدْرِ خَيْرِهِ وَشَرِّهٖ مِنَ اللّٰهِ تَعَالٰى وَالْبَعْثِ بَعْدَ الْمَوْتِ


*तर्जमह* : में ईमान लाया अल्लाह पर और उसके फरिश्तों पर और उस कि किताबो पर और उसके रसूलो पर और क़यामत के दिन पर और इस पर की अच्छी और बुरि तक़दीर अल्लाह की तरफ से है और मौत के बाद उठाए जाने पर।


*ईमाने मुज्मल*

اٰمَنْتُ بِاللّٰهِ كَمَاهُوَ بِاَسْمَآئِهٖ وَصِفَاتِهِ وَقَبِلْتُ جَمِيْعَ اَحْكَامِهٖ اِقْرَارٌم بُاللِّسَانِ وَتَصْدِيْقٌم بِالْقَلْبِ


*तर्जमह* : में ईमान लाया अल्लाह पर जैसा कि वो अपने नामो और अपनी सिफतो के साथ है और में ने उस के तमाम अहकाम क़बूल किये ज़बान से इक़रार करते हुए और दिल से तस्दीक़ करते हुए।

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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