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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
★ किसी मुसल्मान को येह बद दुआ न दे कि "तू काफ़िर हो जाए कि बाज़ उलमा के नज़दीक (ऐसी दुआ गांगना) कुफ्र है और तहकीक येह है कि अगर कुफ्र को अच्छा या इस्लाम को बुरा जान कर कहे तो बेशक कुफ्र है वरना बड़ा गुनाह है कि मुसल्मान की बद ख़्वाहि (यानी बुरा चाहना) हराम है, खुसूसन येह बद ख़्वाही (कि फुलां का ईमान बरबाद हो जाए) तो सब बद ख्वाहियों से बदतर है।
★ किसी मुसल्मान पर लानत न करे और उसे मरदूद व मलऊन न कहे और जिस काफ़िर का कुफ्र पर मरना यकीनी नहीं उस पर भी नाम ले कर लानत न करे।
★ किसी मुसल्मान को येह बद दुआ न दे कि “तुझ पर खुदा का ग़ज़ब नाज़िल हो और तू (भाड़ और) आग या दोजख में दाखिल हो।" कि हदीस शरीफ़ में इसकी मुमानअत वारिद है।
★ जो काफ़िर मरा उस के लिये दुआए मगफिरत हराम व कुफ्र है।
*✍️मदनी पंजसुरह* 190
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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