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بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
*_बारिश की ज़्यादती के वक़्त की दुआ_*
اَللّٰهُمَّ حَوَالَيْنَا وَلَا عَلَيْنَا اَللّٰهُمَّ عَلَى الْاٰكَامِ وَالظِّرَابِ وَبَطُوْنِ الْاَوْدِيَةِ وَمَنَابِتِ الشَّجَرِ
*तर्जमा* - ऐ अल्लाह ! हमारे इर्द गिर्द बरसा और हम पर न बरसा, ऐ अल्लाह ! टीलो पर और पहाड़ियों पर और वादियो पर और दरख्त उगने के मक़ामात पर बरसा। (यानी जहां जानी व माली नुक़सान होने का अन्देशा न हो)
*✍🏽सहीह बुखारी, 1/348*
*_आंधी के वक़्त की दुआ_*
اَللّٰهُمَّ اِنِّىْٓ اَسْأَلُكَ خَيْرَهَا وَخَيْرَ مَافِيْهَا وَخَيْرَ مَااُرْسِلَتُ بِهٖ وَاَعُوْذُبِكَ مِنْ شَرِّهَا وَشَرِّمَا فِيْهَا وَشَرِّمَا اُرْسِلَتُ بِهٖ
*तर्जमा* - या इलाही ! में तुझ से इस (आंधी) की और जो कुछ इसमें है और जिसके साथ ये भेजी गई है, उस की भलाई का सुवाल करता हु और में तेरी पनाह मांगता हु इस आंधी के शर से और उस चीज़ के शर से जो इसमें है और उसके शर से जिस के साथ ये भेजी गई है।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 446*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 210*
*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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